केसर की खेती करने की विधि :
केसर विश्व की सबसे महँगी मसाला फसल है ,यह इरिडेसी कुल से संबंधित है | यह एक ट्रीपलोइड (2N=3X =24) पौधा है ,यह सेलफिंग या क्रोसिंग द्वारा बीज उत्पादन करने में असमर्थ होता है | अतः केसर को कोर्म के माध्यम से उगाया जाता है | सभी कोर्म पहले अंकुरित होता है और उसके बाद नारंगी लाल रंग के सिटग्मा के साथ लगभग 1-5 बैगनी फूलो का उत्पादन करता है | सिटग्मा की गुणवत्ता उसके रंग (क्रोसिन) स्वाद (पिक्रोक्रोसिन) और गंध (सेफ्रेनल) पर निर्भर करती है | केसर का उपयोग खाने का स्वाद बढ़ने के साथ – साथ रंग वाले कारकके रूप में भी किया जाता है |भारत में केसर को वर्तमानमें जम्मू और कश्मीर के पुलवामा एवं किश्तवाड जिले में उगाया जाता है भारत में केसर की प्रत्येक वर्ष इसकी मांग 1,00,000 किलोग्राम है लेकिन इसका वार्षिक उत्पादन 6.46 टन से भी काम है जो की 2,825 हेक्टेयेर में उगाया जाता है वैश्विक स्तर पर केसर का उत्पादन 418 मीट्रिक टन प्रत्येक वर्ष है | ईरान केसर का सबसे बड़ा उत्पादन है जहां विश्व का 90% केसर उत्पादित किया जाता है और उसके बाद ग्रीस और भारत का स्थान आता है केसर उत्पादन के लिए जलवायु की उपयुक्त्तता को जांचने के लिए विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनी प्रक्षेत्र लगाये गये है |
केसर की खेती के लिए जलवायु कैसे होनी चाहियें :
केसर समुन्द्र तल से 1500 -2800 मीटर की ऊँचाई पर शुष्क समशीतोष्ण जलवायु में उगाया जाता है तापमान पौधों के विकास और फूलो को नियंत्रित करने वाला अधिक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय कारक है सर्दियों के दौरान बर्फ से ढका क्षेत्र विशेष कर फूलो के लिए सर्वोतम है ,जबकि असामान्य रूप से कम तापमान और उच्च आद्रता फूल उत्पादन को प्रभावित करती है फूलो के साथ –साथ कोर्म विकास के लिए 23 -27 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है | फूलो के विकास के लिए कोर्म को 7 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है
केसर की खेती के लिए मिट्टी कैसे होनी चाहिए :
केसर के उत्पादन के लिए 6.8 से 7.8 PH की रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है ,देसी खाद के साथ रेत को मिलाने पर मिट्टी को छिद्रित बनावट बनी रहती है | गीली और पानी से भरी पारिस्थितियो में कोर्म सड़ने के लिए अति संवेदनशील हो जाते है , इसलिए कैल्शियम कार्बोनेट की उच्च खुराक फसल की वृदि के लिए लाभदायक है
केसर के भूमि की तैयारी कैसे करे :
मिट्टी के महीन और छिद्रित बनाने के लिए खेत की 25 -30 से०मी०की गहराई तक 3 से 4 बार जुताई करनी चाहिए | उचित संवर्धन के लिए 15 -20 सी०मी ० और 1.2 -1.5 मीटर चौडाई वाली क्यारियों के बीच 30 से०मी०चौड़ी नालियों को बनानी चाहिए | रेतीली से रेतीली दोमट मिट्टी और शुष्क समशीतोष्ण क्षेत्रों में जहा बारिश काम मात्र में होती है ,वहा उभारी हुई क्यारियों की आवश्यकता नहीं हिती है |
केसर का बीजोपचार कैसे करे :
बीज में लगाने वाली रोगों के बचाव के लिए बिजाई से पहले बीज (कोर्म ) का उपचार बैविस्टेंन 0.2%(4 ग्राम प्रति लीटर ) दवाई को पानी में घोल बनाकर कोर्म को आधे घंटे के लिए उपचारित करने के बाद उसे छायादार क्षेत्र में सुखाना चाहिए और उसके बाद कोर्म का रोपण करना चाहिए | केसर के पौधों की दुरी और गहराई कितनी होनी चाहिए रोपण स्थान ,कोर्म आकार और उपज दोनों के उत्पादन को प्रभावित करता है| 20 X10 से०मी० की दुरी बड़े आकार में कोर्म के उत्पादन के लिए उत्तम है | इस आकार के स्तर पर 50 कोर्म /मीटर का रोपण और व्यवसायिक आकर के कोर्म उत्पादन के लिए 10 से 12 से०मी० की गहराई तक रोपण किया जाना चाहिए |
केसर की सिचाई कैसे करे :
केसर को पानी की आवश्यकता काम होती है |सितम्बर से अक्टूबर के अंत में 15 दिनों से अंतराल पर सिचाई करनी चाहिए |कोर्म में वृदि और फूल खिलने में तेजी लाने के लिए सिचाई अधिक महत्वपूर्ण है
केसर का प्रचार / प्रसार :
केसर का प्रसार कोर्म के माध्यम से वनस्पतिक रूप में होता है | प्रत्येक सीजन /ऋतु के दौरान पुराने कोर्म के ऊपर छोटे कोर्म बनते है ,एव पुराने कोर्म मुरझा जाते है ,अंत में सड़ जाते है | प्रत्येक कोर्म में 5-11 डाटर कोर्म बनते है
केसर के पौधा रोपण का समय :
केसर के पौधों का रोपण समय सितम्बर से अक्टूबर के मध्य तक का है | यह क्षेत्र की जलवायु के ऊपर निर्भर करता है | ऊचे पर्वतीय क्षेत्रो (>1800 मीटर ) में इसकी बिजाई सितम्बरके दुसरे सप्ताह में की जाती है | जबकि मध्य पर्वती क्षेत्रो में (1200-1800 मीटर)में इसकी बिजाई अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में की जाती है |
केसर के पोषक तत्व प्रबंधन :
पोषक तत्व प्रबंधन केसर की खेती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है | देसी खाद (फार्मयार्ड खाद),बेसल ड्रेसिंग के रूप में 15 -20 टन प्रति हेक्टेयेर की दर से खेत की तैयारी के समय मिलाई जानी चाहिए | उर्वरक 45:60:60: कि०ग्रा० नाइट्रोजन ,फास्फोरस ,पोटाश प्रति हेक्टेयेर फूलो की अधिक उपज के साथ –साथ कोर्म के लिए भी सबसे अच्छा है | नाइट्रोजन की 1:3खुराक को फास्फोरस और पोटाश की पूर्ण खुराक के साथ रोपण के समय मिलाना चाहिए | शेष नाइट्रोजन को 2 बिभाजित खुराको में प्रयोग करना चाहिए ,रोपण के 1 महीने के बाद आधी खुराक और शेष आधी खुराक जनवरी के महीने में देनी चाहिए |
केसर के खरपतवार का प्रबंधन :
केसर के धीमी गति से बढ़ने वाली फ़सल है जो बड़ी संख्या में खरपतवार के गंभीर संक्रमण से ग्रस्त होती है अक्टूबर के पहले महीने से गुढ़ाई या निराई करनी चाहिए | खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए तीन से चार बार हाथ से खरपतवार को निकालना चाहिए खरपतवार का नाश करने के लिए पेडीमेंथिलीन 1.5 लीटर /हेक्टेयेर के अनुसार बिजाई के 48 घंटो के अंदर छिडकाव किया जाना चाहिए जिससे की खरपतवार पर को रोका जा सकता है
केसर की कटाई कैसे करे :
फूलो को हाथ द्वारा तोडा जाता है और स्टिग्मा को शेष फूलो के हिस्सों से तुरंत अलग करने के लिए घर के अंदर लाया जाता है 1000 फूलो को तोड़ने के लिए 45-55 मिनट चाहिए सुखाने तथा स्टिग्मा को अलग करने के लिए 100 -130 मिनट की आवश्यकता होती है
केसर फसल की उत्पादकता :
फसल ऋतु के दौरान रोपन घनत्व ,रोपण की आयु और जलवायु की स्थिति के आधार पर केसर की उपज 1.5 से 10 कि०ग्रा० /हेक्टेयेर होती है , भारत में केसर की उत्पादकता 1.5 -3.0 कि०ग्रा०/हेक्टेयेर /वर्ष है |
तुड़ाई /फसलोपरांत तकनीक :
केसर के फूलो की तुड़ाई के बाद स्टिग्मा को फलो से अलग करके तब तक सुखाना चाहिए जब तक नमी की मात्रा 8-12%तक काम न हो जाये इसके लिए स्टिग्मा को 3-5 दिनों तक सौर ऊर्जा में सुखाया जाना चाहिए गुणवक्ता को बनाये रखने के लिए कम से कम नमी की अवश्यकता होती है
गुणवक्ता :
केसर की गुणवक्ता उसके रंग (क्रोसिंन) स्वाद (पिक्रोक्रोसिन) और गंध (सेफ्रेनल )पर निर्भर करता है |
केसर खाने के फायदे :
- केसर को नियमित रूप से खाने पर स्ट्रेस और डिप्रेशन की परेशानी काम कर सकता है
- बढ़ते वजन को कम करने में मदद करता है लगातार केसर का उपयोग से भूख काम लगता है जिससे वजन कम होता है
- लगातार केसर को खाने से दिल के रोग को कम करता है
- ब्लड शुगर को कम करने के लिए समय –समय पर केसर का सेवन करे
- केसर का प्रयोग करने बढती उम्र के लक्षण को काम करने में सहायक है | यह स्क्रीन पर होने वाली झुर्रिय और फाइन- लाइंस को काम करता है
- केसर को नियमित रूप से सेवन करने से मेमोरी पावर मजबूत होती है |
केसर का लगातार सेवन करने से हानि :
अगर केसर अवश्यकता से अधिक लिया जाये तो ब्लड प्रेशर को काम कर देता है जिससे लो ब्लड प्रेशर सकता है |
केसर का अधिक सेवन करने से त्वचा और आखे पिली पड़ जाती है
केसर का आधिक सेवन से नाक से ब्लड निकल सकता है