मसूर की खेती :

मसूर एक प्रमुख दलहनी फसल है ,इसलिये इसकी बुवाई से पहले मिट्टी की जाँच और खेत को तैयार कर ले , मसूर की खेती के लिए नम भूमि का होना आवश्यक है ,दोमट मिट्टी में इसकी खेती प्रमुखता से की जाती है | किसान भाइयो को मसूर की खेती करते समय मिट्टी का ध्यान रखना चाहिए | क्षारीय व हल्की भूमि में इसकी खेती ना करे नहीं तो यह पूरी फसल को ख़त्म कर देती है इसके अलावा खेती में जल निकासी वाली व्यवस्था होनी चाहिए |
मसूर की अच्छी पैदावार के लिये क्या करे :-
मसूर एक प्रमुख दलहनी फसल है ,इसलिए इसकी बुवाई से पहले मिट्टी की जाच करे और खेत को तैयार जरुर कर ले,इससे अधिक पैदवार के लिये 15 अक्टूबर से लेकर नवंबर तक बुवाई कर देनी चाहिए ,इसकी खेती के लिये हल्की दोमट मिट्टी सबसे अच्छी रहती है |
मसूर की खेती में कितना पानी देना चाहिए :-
मसूर की फसल के लिये दो सिचाईया पर्याप्त होती है | पहली सिचाई शाखाये बनते समय औए दूसरी सिचाई फूल आने के बाद करना चाहिए | यदि एक ही सिचाई उपलब्ध हो तो शाखाये बनते समय सिचाई करे |मसूर की फसल ज्यादा समय तक पानी के संपर्क में रहने पर ख़राब हो जाती है |
मसूर की सबसे अच्छी वैरायटी कौन से है :-
मसूर की उन्नत किस्मे के नाम कुछ इस प्रकार के है पंत एल 639, एल एल 699,एल 4076,पूसा बैभव एल 4147,पंत 406,मसूर की यह उन्नत किस्मे सब से अच्छी और अधिक उत्पादन के लिये जनि जाती है | पंत एल639 :मसूर की यह उन्नत किस्मे के बीज बुवाई के बाद 130 से 140 दिन में अच्छे से पक के तैयार हो जाती है |
मसूर में यूरिया कब देना चाहिए :-
उतेरा खेती के लिये 43 किलो यूरिया धान की फसल काटने के बाद खेत में बखेरना चाहिए |इसके अलावा फास्फेट 15 किग्रा की दर से फूल आने और फल बनते समय फसल पर छिडके |
मसूर में कौन सा खाद डालना चाहिए :-
मसूर के खेत में पकी हुई गोबर का खाद का ही प्रयोग करे |
संतुलित मात्र में खाद एवं उर्वरको का प्रयोग करे | बीज को 2 ग्राम थाईरम +1 ग्राम कर्वेन्डाजिम से एक किलो ग्राम बीज या कार्बोकिसन 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारिक कर बोवाई करनी चाहिए |
मसूर की फसल में कौन – कौन से रोग लगते है :-
मसूर के फसल के रोग जैसे की उकठा रोग ,गेरुई रोग ,ग्रीवा गलन ,मूल गलन, प्रमुख है | इस रोग से फसल को बचाने के लिये बुवाई से पूर्व बीज को थीरम नामक रसायन 2.5 ग्राम मात्र या 4 ग्राम ट्राईकोडरमा से प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारिक करके ही बुवाई करनी चाहिए |
हानिकारक किट और रोकथाम :-
फली छेदक : यह सुंडी पत्ते ,डंडिया और फूलो को खाती है | यह मसूर की खतरनाक सुंडी है और पैदवार पैदावार का बहुत नुकसान करती है | इसकी रोक थाम के लिये हेक्जाविन 900 ग्राम 50 डब्लु पी को 90 लीटर पानी में फूल आने के समय प्रति एकड़ में छिडकाव करे यदि जरुरत हो तो तीसरा छिडकाव 3 हफ्तो बाद कर सकते है |
बीमारियाँ और रोकथाम
कुंगी : इससे टहनिया और फलो के ऊपर हल्के पीले रंग के उभरे हुए धब्बे पड़ जाते है | ये धब्बे ग्रुप के रूप नजर आते है | छोटे धब्बे धीरे –धीरे बड़े धब्बो में बदल जाते है | कई बार प्रभावित पौधा पूरी तरह सुख जाता है इससे बचाव के लिये रोग की प्रतिरोधक किस्मो का प्रयोग करे और रोकथाम के लिये 400 ग्राम M -45 को 200 लीटर पानी में डालकर प्रति एकड़ छिडकाव करे |
झुलस रोग : इससे टहनिया और फलो के ऊपर गहरे भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते है | ये धब्बे धीरे –धीरे लम्बे आकार के बनते है | कई बार ये धब्बे गोलाकार का रूप ले लेते है | बचाव के लिये बीमारे रहित बीज का प्रयोग करे और पौधों को नष्ट कर दे | इसकी रोक थाम के लिये 400 ग्राम बविसिटन को 200 लीटर पानी में डालकर प्रति एकड़ पर छिडकाव करे |
मसूर की फसल में के रोग जैसे की उकठा रोग, गरुई रोग ,ग्रीवा गलन ,मूल गलन प्रमुख है | इस रोग से फसल को बचने के लिये बुवाई से पूर्व बीज को थीरम नामक रसायन 2.5 ग्राम मात्रा या 4 ग्राम ट्राईकोडरमा से प्रति किलो ग्राम बीज दर से उपचारित करके ही बुवाई करनी चाहिए |
फसल की कटाई :-
फसल की कटाई सही समय पर करनी चाहिए | जब पौधे के पत्ते सुख जाये और फलिया पक जाये तब फसल कटाई के लिये तैयार हो जाती है देरी करने से फलिया झरनी शुरू हो जाते है |इसकी कटाई डाती से करनी चाहिए | दोनों की साफ करके धुप में सुखाकर 12 प्रतिशत नमी पर स्टोर कर ले |

  1. मसूर तीन प्रकार की होती है
    साबुत या काली ,धुली या मलका और हरी मसूर
  2. 1 एकड़ में कितनी मसूर निकलते है
    इसकी औसद पैदवार 5.5-6.4 कुंटल प्रति एकड़ होती है
    मसूर दाल के फायदे :-
  1. चेहरे की रोनक बढाने के लिये मसूर का उपयोग लाभदायक :-
    • आप मसूर का प्रयोग कर चेहरे पर निखार ला सकते है | मसूर को भुनकर, छिलका हटा ले | इसमें मधु और घी मिलाकर मुह पर लेप के रूप में लगाये इससे चेहरे के दाग – धब्बे ख़त्म हो जाते है ,और चेहरे की क्रांति बढ़ते है |
    • रक्त चन्दन ,मन्जिष्ठा ,कुठ ,लोध्र ,प्रियंगु ,वटाकुर ,तथामसूर को पिस ले | इससे चेहरे पर लेप के रूप में लगाये |इससे चेहरे पर रौनक तो आती ही है ,साथ ही चेहरे के दाग धब्बे ठीक हो जाते है |
  2. चेहरे की झाई हटाने के मसूर का प्रयोग फायदेमंद:-
    • चेहरे की झाई में मसूर को घी से पीस ले | इसमे दूध मिला ले या दूध से पीसकर चेहरे की झाई की समस्या टीक होते है |
    • बरगद के पत्ते और मसूर को समान मात्रा में लेकर पिस ले | इससे लेप करने से चेहरे की झाई या दाग –धब्बे ठेक हो जाते है |
  3. मुह के छालें में मसूर के फायदे :-
    • मुह के छाले में मसूर की भस्म के बराबर मात्र में कत्था मिलाकर पिस ले | इसे मुह के छाले पर लगाये | इससे मुह के छाले मिटते है |

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